🔹 जन सुराज की पहली और दूसरी सूची जारी
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (Jan Suraaj Party) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अब तक 116 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है।
पहली सूची में 51 उम्मीदवारों के नाम थे, जबकि दूसरी सूची में 65 और नए चेहरों को जगह दी गई है।
पार्टी के अनुसार, उम्मीदवारों का चयन सामाजिक संतुलन और जनता से जुड़ाव को ध्यान में रखकर किया गया है। इसमें SC, ST, EBC, OBC, अल्पसंख्यक और महिलाओं को समान प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया गया है।
🔹 पहली सूची के प्रमुख उम्मीदवार
पहली सूची में जन सुराज ने जिन नामों की घोषणा की थी, उनमें कई चर्चित चेहरे शामिल हैं:
विधानसभा क्षेत्र | उम्मीदवार का नाम |
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वाल्मीकि नगर | डॉ. द्रिग नारायण प्रसाद |
लौरिया | सुनील कुमार |
हरसिद्धि (SC) | अवधेश राम |
ढाका | डॉ. लाल बाबू प्रसाद |
सुरसंड | उषा किरण |
रननीसैदपुर | विजय कुमार साह |
बेनीपट्टी | मोहम्मद परवेज़ आलम |
निर्मली | राम प्रवेश कुमार यादव |
सिक्ती | राघिब बाबलू |
कोचाधामन | अबू अफ्फान फ़ारूक़ |
बायसी | मोहम्मद शहनवाज़ आलम |
प्राणपुर | कुणाल निषाद (उर्फ़ सोनू सिंह) |
आलमनगर | सुभोध कुमार सुमन |
🔹 दूसरी सूची के मुख्य उम्मीदवार
दूसरी सूची में पार्टी ने 65 नए उम्मीदवारों को टिकट दिया है।
इनमें कई शिक्षाविद्, समाजसेवी और युवाओं को प्राथमिकता दी गई है।
कुछ प्रमुख नाम:
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हरनौत — संजय पासवान
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दरभंगा ग्रामीण — ममता कुमारी
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पूर्णिया — अब्दुल सत्तार अंसारी
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गया टाउन — संदीप कुमार
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मधुबनी — अरविंद झा
(पूरा विवरण निर्वाचन आयोग की वेबसाइट और जन सुराज के आधिकारिक हैंडल पर उपलब्ध है।)
🔹 राघोपुर सीट पर अब भी सस्पेंस
प्रशांत किशोर ने अभी तक तेजस्वी यादव की परंपरागत सीट राघोपुर पर अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है।
राजनीतिक हलकों में कयास है कि वहां से कोई बड़ा नाम उतर सकता है या खुद प्रशांत किशोर मैदान में उतर सकते हैं।
🔹 जन सुराज का उद्देश्य
प्रशांत किशोर ने जन सुराज के तहत यह संदेश दिया है कि राजनीति सिर्फ सत्ता प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि जनता के जीवन में वास्तविक परिवर्तन लाने का अभियान है।
उनकी पार्टी का नारा है —
“बिहार बदलेगा, जब जनता राजनीति में भाग लेगी।”
🔹 निष्कर्ष
जन सुराज पार्टी की 116 उम्मीदवारों की सूची यह साफ संकेत देती है कि पार्टी 2025 के चुनाव में पूरी ताकत से उतर रही है।
प्रशांत किशोर की रणनीति, जमीनी नेटवर्क और जनता से सीधा जुड़ाव — बिहार की राजनीति में एक नए समीकरण की शुरुआत कर सकते हैं।